मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ। मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ।
मैं भारत की नारी हूं सब पुरुषों पर भारी हूं बाधाएं चाहे कितनी हों समय से नहीं मैं मैं भारत की नारी हूं सब पुरुषों पर भारी हूं बाधाएं चाहे कितनी हों समय ...
कभी घर में भी शिकार ना बन जाऊं ये डर आज भी नारी को सहना पड़ता है । कभी घर में भी शिकार ना बन जाऊं ये डर आज भी नारी को सहना पड़ता है ।
इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो। इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो।
की नारी ही तो हैं फरिश्ता तो नहीं। डर लगता है मुझे भी ! की नारी ही तो हैं फरिश्ता तो नहीं। डर लगता है मुझे भी !
अगर ज़िंदगी की शाम हो जाये ... अगर ज़िंदगी की शाम हो जाये ...